उत्तराखण्ड प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता एवं शुचिता को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा आज दिनांक 09 फरवरी, 2023 को उत्तराखण्ड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया। इस अध्यादेश में दोषियों के विरूद्ध सख्त प्रावधान किए गए हैं।
यदि कोई व्यक्ति, प्रिटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान इत्यादि अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए आजीवन कारावास तक की सजा तथा दस करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई व्यक्ति संगठित रूप से परीक्षा कराने वाली संस्था के साथ षडयंत्र करता है तो आजीवन कारावास तक की सजा एवं 10 करोड़ रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में स्वयं नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए अनुचित साधनों में लिप्त पाया जाता है तो उसके लिए तीन वर्ष के कारावास व न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यदि वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में पुनः दोषी पाया जाता है तो न्यूनतम दस वर्ष के कारावास तथा न्यूनतम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच वर्ष के लिए डिबार करने तथा दोषसिद्ध ठहराए जाने की दशा में दस वर्ष के लिए समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है। यदि कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो क्रमशः पांच से दस वर्ष के लिए तथा आजीवन समस्त प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार किए जाने का प्रावधान किया गया है।
अनुचित साधनों के इस्तेमाल से अर्जित सम्पति की कुर्की की जायेगी।
इस अधिनियम के अन्तर्गत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती एवं अशमनीय होगा।
कल माफिया पर यह होगी कार्रवाई
- कोई व्यक्ति, परीक्षा केंद्र के प्रबंधतंत्र, कोचिंग संस्थान, प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा के आयोजन में किसी भी जुड़े लोग पेपर लीक या अनुचित साधनों में शामिल पाए गए तो उन्हें आजीवन कारावास और 10 करोड़ रुपये तक के जुर्माने की सजा मिलेगी।
- कोई परीक्षार्थी अगर नकल करते हुए पकड़ा गया तो तो उसे तीन साल की जेल और कम से कम पांच लाख के जुर्माने की सजा मिलेगी। अगर वही परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में दोषी पाया जाता है तो उसे दस साल कारावास की सजा और कम से कम 10 लाख जुर्माना लगेगा।
- अगर कोई परीक्षार्थी नकल करते हुए पाया जाता है तो आरोपपत्र दाखिल होने की तिथि से दो से पांच साल के लिए उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। दोष सिद्ध होने पर 10 साल के लिए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार कर दिया जाएगा। अगर कोई परीक्षार्थी दोबारा नकल करते हुए पाया जाता है तो उसे पांच से दस साल सजा के साथ ही आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से डिबार कर दिया जाएगा।
युवाओं से किए गए वादे के अनुरूप हमारी सरकार ने देश का सबसे सख्त "नकल विरोधी कानून" लाने का फैसला किया है।
इस हेतु संबंधित अध्यादेश को मैंने अपनी अनुमति प्रदान कर अग्रेतर कार्यवाही के लिए भेज दिया है।
हम नकल माफिया को प्रदेश के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नही करने देंगे।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 9, 2023