उद्यान विभाग के अन्तर्गत 526 करोड़ रूपये की वाह्य सहायतित ‘जायका परियोजना’ का मुख्यमंत्री ने वर्चुअली शुभारम्भ किया।

मंगलवार को वर्चुअल तरीके से मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश में उद्यान विभाग द्वारा संचालित की जा रही जायका परियोजना का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुभारम्भ किया। कार्यक्रम में उद्यान विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत 526 करोड़ रूपये की वाह्य सहायतित जायका परियोजना का शुभारम्भ किया गया।

कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रदेश में विभिन्न वाह्य सहायतित एजेंसियां विभिन्न क्षेत्रों में परियोजनाओं को स्वीकृत करने हेतु विशेष रूचि दिखा रही हैं, जो हमारे राज्य के लिए अत्यन्त गर्व की बात है। उद्यान विभाग, उत्तराखण्ड के अन्तर्गत आज रू0 526 करोड़ की वाह्य सहायतित जायका परियोजना का शुभारम्भ किया जा रहा है, यह उत्तराखण्ड में औद्यानिकी के क्षेत्र में पहली वाह्य सहायतित परियोजना है, जिसका क्रियान्वयन प्रदेश के 04 पर्वतीय जनपदों टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल एवं पिथौरागढ़ में किसान उत्पादक संगठनों के सहयोग से किया जाना है। इसके अन्तर्गत औद्यानिकी के समग्र विकास हेतु विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियों को सम्मिलित किया गया है, जिसमें कीवी को मुख्य रूप से गैम चैंजिंग क्रॉप के रूप में सम्मिलित करने के साथ-साथ सेब की अति सघन बागवानी को भी प्रमुखता से सम्मिलित किया गया है। उन्होंने कहा कि परियोजना में सप्लाई चेन व्यवस्था को सुदृढ़ करते हुए Farm to Fork तक की विभिन्न गतिविधियों के क्रियान्वयन से प्रधानमंत्री जी के कृषकों की आय दोगुना करने के संकल्प को सार्थक करने में अहम भूमिका प्राप्त होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियाँ एवं कृषि जलवायु विभिन्न कृषि एवं औद्यानिक फसलों के उत्पादन हेतु बहुत अनुकूल है, जिसको ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार द्वारा अपने पिछले कार्यकाल में भी बागवानी के विकास हेतु महत्वपूर्ण कार्य किये गये हैं- कृषकों को आय के अतिरिक्त साधन प्रदान करने एवं बैरोगजार नवयुवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करते हुए मौनपालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नैशनल बी बोर्ड, भारत सरकार द्वारा संचालित नैशनल बीकीपिंग एंड हनी मिशन के माध्यम से रू0 468.50 लाख के प्रस्ताव स्वीकृत कराये गये है। जिसमें ज्योलीकोट, नैनीताल में शहद के संग्रहण, प्रसंस्करण इकाई, शहद की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु टेस्टिंग लैबोरेट्री एवं उत्तराखण्ड के शहद को देश और विदेशों तक पहुँचाने हेतु इसकी ब्राण्डिंग व विपणन हेतु ईकाइयों की स्थापना की जा रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में स्थापित मेगा फूड पार्क में निवेश आकर्षित करने के उद्देश्य से उद्यमियों को भूमि की स्टाम्प शुल्क, बैंक के ब्याज, मंडी से फल एवं सब्जियों की खरीद पर मंडी शुल्क, बिजली की बिल एवं एस०जी०एस०टी० आदि में विशेष छूट प्रदान की जा रही है। पूर्व में मौसम आधारित फसल बीमा योजना के अन्तर्गत सेब की फसल में ओलावृष्टि से होने वाली क्षति रिस्क फैक्टर में सम्मिलित नहीं था जिसे रिस्क फैक्टर में के रूप में सरकार द्वारा शामिल किया गया, ताकि ओलावृष्टि से किसानों के नुकसान की भरपाई की जा सके। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग के कारण कृषि एवं बागवानी में विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं जिसमें कमी लाने के उद्देश्य से नाबार्ड की योजनान्तर्गत रू. 10 करोड़ की लागत के क्लाईमेट स्मार्ट माईक्रो इरिगेशन सिस्टम का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। किसानों को रोग रहित उच्च गुणवत्ता युक्त सेब के पौधे की उपलब्धता हेतु जनपद उत्तरकाशी के भटवाड़ी में टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की गयी है। हमारे प्रदेश को भारत सरकार द्वारा बेस्ट हॉर्टीकल्चर स्टेट इन इण्डिया से भी सम्मानित किया गया जो कि गर्व का विषय है।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा पूरा प्रयास है कि सन् 2025 तक उत्तराखण्ड हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान में होगा। आगामी 25 दिसम्बर को रूफ गार्डनिंग के क्षेत्र में एक अह्म योजना का शुभारम्भ करने जा रहे हैं जिसमें पायलट प्रोजेक्ट के तहत देहरादून जनपद को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि हम कोई भी नवीन योजना किसानों से पूरे विचार विमर्श के बाद ही लायी जायेगी। हमने अधिकारियों को भी निर्देश दिये है कि ज्यादा से ज्यादा फिल्ड में रह कर किसानों की समस्याओं का समाधान करने की पूर्ण कोशिश करें।
कैबिनेट मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा कि हमारे राज्य में पलायन एक अह्म समस्या है, हार्टिकल्चर के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न विकास के कार्य निश्चित रूप से पलायन को रोकने में सक्षम होंगे।

इस अवसर पर सचिव कृषि डॉ.बी.आर.सी. पुरूषोतम, निदेशक उद्यान डा. हरमिन्दर सिंह बवेजा, निदेशक कृषि गौरी शंकर, निदेशक रेशम ए.के.यादव, जाइका इंडिया रिप्रजेन्टेटिव जून वातानाबे, प्रिंसीपल डेवलपमेंट सोशलिष्ट जाइका अनुरोग सिन्हा, रिप्रजेन्टेटिव जाइका  मारिया काटो सहित प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आये काश्तकार आदि उपस्थित थे।