देश के कुछ राज्यों में प्रवासी पक्षियों, जंगली एवं देशी कौवों और पोल्ट्री में एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू के प्रकोप के मद्देनजर नई दिल्ली के कृषि भवन में पशुपालन एवं डेयरी विभाग, कमरा नंबर 190 ए (दूरभाष संख्या 011-23382354) में एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए तैयारी, नियंत्रण एवं रोकथाम पर कार्य योजना 2015 की परिकल्पना के अनुसार, प्रकोप के प्रबंधन, रोग नियंत्रण और रोकथाम के संबंध में राज्य सरकार के साथ समन्वय स्थापित करते हुए सुविधा प्रदान करना है।
एवियन इन्फ्लूएंजा (एआई) वायरस सदियों से दुनिया भर में मौजूद हैं और पिछली शताब्दी के दौरान चार प्रमुख प्रकोप दर्ज किए गए। भारत ने सबसे पहले 2006 में एवियन इन्फ्लूएंजा के प्रकोप को दर्ज किया था। भारत में मनुष्यों में इसके संक्रमण के मामले अब तक सामने नहीं आए हैं लेकिन यह जूनोटिक बीमारी है। फिलहाल इस बात के कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिले हैं कि दूषित पोल्ट्री उत्पादों को खाने से मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस का संक्रमण फैल गया। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए जैव सुरक्षा सिद्धांतों, व्यक्तिगत स्वच्छता एवं साफ-सफाई और कीटाणुशोधन प्रोटोकॉल के साथ-साथ खाना पकाने एवं प्रसंस्करण मानक जैसी प्रबंधन प्रथाएं प्रभावी साधन हैं।
भारत में यह बीमारी मुख्य रूप से प्रवासी पक्षियों द्वारा सर्दियों के महीनों यानी सितंबर- अक्टूबर से फरववरी – मार्च के दौरान फैलती है। मानव हैंडलिंग (फोमाइट के माध्यम से) के जरिये इसके द्वितीयक प्रसार की आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है।