नए कृषि कानूनों को लेकर बातचीत की टेबल पर आने की अपील को एक बार फिर किसान नेताओं ने ठुकरा दिया है और वह इन्हें निरस्त किए जाने को लेकर अड़े हुए हैं। किसानों ने प्रेस वार्ता कर सरकार को अल्टीमेटम दिया कि उनकी मांग न माने जाने पर वह रेलवे ट्रैक अवरुद्ध करेंगे। किसान नेता बूटा सिंह ने कहा कि आज की बैठक में निर्णय लिया गया है कि एक संयुक्त किसान मार्च निकाला जाएगा। किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को अध्ययन के बाद खारिज कर दिया है और उन्होंने कृषि सुधार से संबंधित तीन कानूनों को निरस्त करने तथा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देने की मांग की है। इसके साथ ही किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को तेज करने की भी घोषणा की है। किसान संगठनों और सरकार के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है और अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार ने हमारी 15 में से 12 मांगे मान ली हैं। इससे साफ है कि यह कानून गड़बड़ है। इन्हें खारिज करना ही पड़ेगा। किसान संगठन अपने आगे के आंदोलन को लेकर समन्वय बना रहा है और हम आगे भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगे। किसानों की मांग है कि तीन कृषि बिल निरस्त किए जाएं और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाकर इसे वैधानिक रूप दिया जाए। ऐसा नहीं होने की स्थिति में किसान अपना आंदोलन जारी रखेगा। राकेश टिकैत ने कहा है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती और एमएसपी पर कानून नहीं बनाती ,तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं के बारे में कृषि मंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया है, कृषि मंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कोई बात नहीं की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार कानूनों में संशोधन करना चाहती है, लेकिन किसान संगठन इसके पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब तक तीनों कानूनों की वापसी नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कोई कार्य नहीं किया ,उन्होंने मोदी सरकार के 6 साल के कार्यकाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज भी किसान आधे दामों पर फसलों को बेचने के लिए मजबूर है। टिकैत ने कहा कि किसान अपना आंदोलन तेज करेंगे, जिसमें 14 दिसंबर को भारतीय किसान यूनियन के नेता प्रदेश के जिलों के जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपनी मांगों को बिना पूरा करवाएं, दिल्ली से नहीं लौटेगा।
टिकैत ने कहा कि किसान पहले ही केंद्र सरकार के प्रस्तावों को खारिज कर चुका है, पराली पर भी किसान को कोई समझौता नहीं चाहिए ,12 तारीख को टोल फ्री कराया जाएगा और 14 तारीख को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीजेपी के मंत्रियों का भी घेराव किया जाएगा।