प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को कहा कि आज कोई असम के जनजातीय क्षेत्रों या फिर पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में जाता है, तो हालात को बदलता देखकर उसे भी अच्छा महसूस होता है। प्रधानमंत्री असम के कार्बी आंगलोंग जिले के दीफू में ‘शांति, एकता और विकास रैली’ को संबोधित कर रहे थे।  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने असम और त्रिपुरा में हुये शांति समझौतों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्वोत्तर में स्थायी शांति को जमीन पर उतारने का काम तेजी से चल रहा है। 2014 के बाद से पूर्वत्तर में मुश्किलें कम हो रही हैं और लोगों का विकास हो रहा है। इससे पहले उन्होंने दीफू में अमृत सरोवर परियोजना और उच्च शिक्षा से जुड़ी तीन परियोजनाओं का शिलान्यास किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में कार्बी आंगलोंग के अनेक संगठन शांति और विकास के संकल्प से जुड़े। 2020 में बोडो समझौते ने स्थाई शांति के नए द्वार खोले। असम के अलावा त्रिपुरा में भी एनएलएफटी ने शांति के पथ पर कदम बढ़ाया है। ढाई दशक से जो ब्रू-रियांग से जुड़ी समस्या चल रही थी, उसको भी हल किया गया। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार और असम सरकार द्वारा हाल ही में छह कार्बी उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौते (एमओएस) पर हस्ताक्षर किए गए थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि लंबे समय तक सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (एएफएसपीए) नॉर्थ ईस्ट के अनेक राज्यों में रहा है। लेकिन बीते 8 सालों के दौरान स्थाई शांति और बेहतर कानून व्यवस्था लागू होने के कारण हमने एएफएसपीए को नॉर्थ ईस्ट के कई क्षेत्रों से हटा दिया है। उन्होंने कहा कि सबका साथ, सबका विकास की भावना के साथ आज सीमा से जुड़े मामलों का समाधान खोजा जा रहा है। असम और मेघालय के बीच बनी सहमति दूसरे मामलों को भी प्रोत्साहित करेगी। इससे पूरे क्षेत्र के विकास की आकांक्षाओं को बल मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सुखद संयोग है कि आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब हम इस धरती के महान सपूत लचित बोरफुकान की 400वीं जन्म-जयंति भी मना रहे हैं। उनका जीवन राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रशक्ति की प्रेरणा है। कार्बी आंगलोंग से देश के इस महान नायक को मैं नमन करता हूं।