मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. कैबिनेट ने गन्ने के उचित और लाभकारी (एफआरपी) मूल्य को 15 रुपये बढ़ाकर 305 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला लिया है. पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया गया है. इसके बाद एफआरपी 290 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 305 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी. बताया जा रहा है कि इस बार 10 फीसदी की बजाय 10.25 परसेंट चीनी रिकवरी पर इसे तय किया जाएगा.
बढ़ी हुई एफआरपी शुगर सीजन एक अक्टूबर 2022 से 30 सितंबर 2023 के लिए होगी. साल 2021 में एफआरपी में सिर्फ 5 रुपये की वृद्धि करके इसे 290 रुपये किया गया था. लेकिन इस बार 15 रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव है, जो लाखों गन्ना उत्पादक किसानों के लिए राहत की खबर है. एफआरपी वह न्यूनतम रेट होता है जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है. सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत एफआरपी तय करती है. इसके लिए कृषि लागत एवं मूल्य आयोग सिफारिश करता है. एफआरपी में 15 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि का कैबिनेट नोट पहले ही जारी कर दिया गया था.
एफआरपी में इजाफा का फायदा देश के सभी गन्ना किसानों को नहीं होगा. सबसे बड़े गन्ना उत्पादक सूबे यूपी में भी कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि यहां पर गन्ने का भाव प्रस्तावित एफआरपी वृद्धि के मुकाबले पहले से ही ज्यादा है. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा जैसे गन्ना उत्पादक सूबे अपनी-अपनी अलग कीमतें तय करते हैं. इसे स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसएपी) कहते हैं. सएपी अमूमन केंद्र सरकार के एफआरपी से ज्यादा ही होता है. एसएपी की वजह से ही हरियाणा के किसानों को 362 रुपये क्विंटल का रेट मिल रहा है. पंजाब में गन्ने का भाव 360 और यूपी में 350 रुपये है. हालांकि, एफआरपी बढ़ने के बाद इन सूबों की सरकारों पर भी गन्ना मूल्य बढ़ाने का दबाव बढ़ता है. देखना यह है कि क्या केंद्र के इस फैसले के बाद येूपी, पंजाब और हरियाणा में रेट और बढ़ेगा या फिर जितना है उतना ही रहेगा.