भारत के प्रमुख चार धामों में से एक श्री बद्रीनाथ धाम बाढ़ संरक्षण और नदी विकास कार्यों से ‘स्मार्ट स्प्रिचुअल हिल टाउन’ के रूप में विकसित होगा। बुधवार को मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में धाम में बाढ़ संरक्षण और नदी विकास कार्यों के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले विकास कार्यों को मंजूरी दी गई। साथ ही भविष्य में बाढ़ संरक्षण और नदी विकास के लिए देश के शीर्षस्थ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) के माध्यम से अतिरिक्त कार्य किए जाने प्रस्तावित हैं।
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि उत्तराखंड सरकार माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा निर्देशों पर श्री बद्रीनाथ धाम को एक स्मार्ट स्प्रिचुअल हिल टाउन के रूप में विकसित करने के लिए चरणबद्ध रूप से कार्य कर रही है। बाढ़ संरक्षण और नदी विकास के कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम वाप्कोस लिमिटेड का चयन किया किया गया है। यह कंपनी पहले ही श्री बद्रीनाथ धाम में अलकनंदा नदी पर मंदिर परिसर के लिए लगभग 11.00 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इसके अतिरिक्त कैबिनेट सचिव की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार वाप्कोस को 15.00 करोड़ रुपये के अतिरिक्त कार्य का एक प्रोजेक्ट भी जलशक्ति मंत्रालय द्वारा दिया जाना प्रस्तावित हैं। ट्रस्ट के माध्यम से किए जाने वाले कार्य नदी संरक्षण के कार्यों के लिए भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) से प्रथम चरण में लगभग 75.00 करोड़ रुपये की धनराशि के एमओयू हस्ताक्षर की प्रक्रिया गतिमान हैं। भविष्य में अन्य पीएसयू के माध्यम से बाढ़ संरक्षण और नदी विकास के अतिरिक्त कार्य करने प्रस्तावित हैं।इस प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर तैयार करने व प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंसी की जिम्मेदारी कंसलटेंसी कंपनी आइएनआइ डिजाइन स्टूडियो की होगी। इसके लिए उनको कार्य लागत का क्रमशः 2 प्रतिशत और अधिकतम एक प्रतिशत की धनराशि का भुगतान किया जाएगा। पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा कि नर-नारायण पर्वत के मध्य स्थित बद्रीनाथ धाम श्रद्धालुओं व तीर्थयात्रियों की असीम आस्था का केंद्र है। हर वर्ष श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या, सीमित संसाधन व भौगोलिक प्रतिबंधों के मद्देनजर यह आवश्यक है कि धाम की क्षमता बढ़ाने को इसे मास्टर प्लान के तहत विकसित किया जा रहा है।