मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधू की अध्यक्षता में गुरूवार को सचिवालय स्थित उनके सभागार में विश्व बैंक पोषित उत्तराखण्ड विकेन्द्रीकृत विकास परियोजना फेज-2 (ग्राम्या) की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक के दौरान परियोजना अन्तर्गत विभिन्न तकनीकी सहयोगी संस्थाओं के अनुबन्ध अवधि के विस्तारीकरण हेतु अनुमोदन दिया गया।
मुख्य सचिव डॉ. संधू ने कहा कि परियोजना के उद्देश्यों की पूर्ति अधिक से अधिक हो इस पर फोकस किया जाए। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि परियोजना को निर्धारित समयसीमा के अन्तर्गत पूर्ण किया जाए। कार्यों की गुणवत्ता हेतु लगातार मूल्यांकन एवं अनुश्रवण किया जाए। योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके यह सुनिश्चित किया जाए, साथ ही स्थानीय लोगों को इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सके। परियोजना की नीतियों एवं कार्यक्रमों के विषय में आमजन को जागरूक करते हुए, उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
परियोजना निदेशक श्रीमती नीना ग्रेवाल ने बताया कि परियोजना का मुख्य उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य के चयनित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों में ग्रामीण समुदाय की सहभागिता से प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग तथा बारानी कृषि की उत्पादकता में वृद्धि करना है। परियोजना के अन्तर्गत प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन कार्य, वनीकरण, बांज क्षेत्रों में प्राकृतिक पुनरूत्पादन, ट्रेंच, चाल-खाल एवं डगआउट पौण्ड निर्माण का कार्य किया जाता है। इसमें समुद्र तल से 700 से 2700 मी0 तक की ऊँचाई के मध्य हिमालयन क्षेत्र के अन्तर्गत 82 सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों को चयनित किया गया है। उन्होंने कहा कि परिणाम सूचकों के सापेक्ष जल स्रोतों में वर्तमान में प्री-मानसून डिस्चार्ज में 12.3 प्रतिशत से 22.2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। जबकि बारानी कृषि क्षेत्र की उत्पादकता में 33.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। परियोजना से सीधे लाभान्वित 40 हजार परिवारों के लक्ष्य के सापेक्ष कुल 54,948 परिवार इस परियोजना से लाभान्वित हुए हैं, जिसमें 64 प्रतिशत महिलाएं हैं।
इस अवसर पर सचिव श्रीमती सौजन्या एवं श्री वी. षणमुगम सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।