योगी की भोज कूटनीति ने अखिलेश यादव की राजनितिक परेशानी बड़ाई। 

राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू शुक्रवार को लखनऊ आईं थीं। भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों की ओर से लोकभवन में उनके लिए स्वागत समारोह आयोजित किया गया। इस स्वागत समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने द्रोपदी मुर्मू के सामाजिक राजनीतिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विपक्ष शांत है। वह भी मुर्म के नाम पर विरोध नहीं कर पा रहा है। यही नहीं, विपक्ष के कई दलों ने समर्थन का एलान किया है। उत्तर प्रदेश में भी दलीय सीमाएं टूटती नजर आ रही हैं। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सुभासपा, जनसत्ता दल, प्रसपा और बसपा ने बड़ा ऐलान किया है. शुक्रवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन  की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के सम्मान में आयोजित भोज में शामिल होने के बाद इन दलों के नेताओं ने अहम फैसला लिया है. सुभासपा नेता ओम प्रकाश राजभर, जनसत्ता दल के नेता रघुराज प्रताप सिंह उर्फ ‘राजा भैया’ , बसपा नेता उमा शंकर सिंह और सपा विधायक शिवपाल सिंह यादव ने ये ऐलान किया है. लखनऊ के लोकभवन में स्वागत समारोह के कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री आवास पर द्रोपदी मुर्मू के सम्मान में भोज आयोजित किया गया। पांच कालिदास मार्ग स्थित सीएम आवास पर वह दलीय सीमाएं टूटती हुईं दिखाई दीं, जिसे मुख्यमंत्री ने लोकभवन में इशारा किया था। भाजपा, अपना दल एस, निषाद पार्टी के नेताओं के अलावा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के चाचा व प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल यादव भी पहुंचे। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर और जनसत्ता दल के अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया भी इस डिरन डिप्लोमेसी का हिस्सा बने। योगी की डिनर डिप्लोमेसी ने अखिलेश यादव की सियासी परेशानी बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे में टूट ने अखिलेश की चिंता बढ़ा दी है।