रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज नई दिल्ली में वर्चुअल लिंक के माध्यम से चौथे सैन्य साहित्य समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस तरह के नवाचारी आयोजन सामान्य लोगों और विशेषकर युवाओं को हमारे सशस्त्र बलों द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों की जानकारी हासिल करने तथा सैनिकों के अनुभव से प्रेरित होने का अवसर प्रदान करते हैं। सैन्य इतिहास के महत्व पर बल देते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के शीघ्र बाद उन्होंने देश की सीमा के इतिहास पर लेखन कार्य की प्रगति के लिए एक समिति गठित की। सीमा इतिहास लेखन का उद्देश्य आने वाली पीढि़यों को पढ़ने योग्य और सामान्य लोगों की समझ के लिए सुबोध भाषा में सीमाओं पर लड़ी गई लड़ाइयों पर फोकस करते हुए सीमा इतिहास तथा सैनिकों के बलिदान का इतिहास प्रस्तुत करना है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लोगों और विशेषज्ञों के बीच खाई को पाटने के लिए सशस्त्र बलों के पुराने सैनिकों और शोधकर्ताओं द्वारा समय-समय पर पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया गया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस वर्ष का सैन्य साहित्य समारोह 1971 के युद्ध की 50वीं वर्षगांठ के स्वर्णिम विजय दिवस समारोह के साथ-साथ हो रहा है। 1971 के युद्ध के दौरान हमारे बहादुर सैनिकों का शौर्य आज भी बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे सैनिकों से बातचीत करने का कोई भी अवसर हाथ से न जाने दें और उनके अनुभवों की जानकारी हासिल करें। श्री राजनाथ सिंह ने साहित्य समारोह के दौरान विभिन्न आयोजनों और परिचर्चाओं की सराहना करते हुए कहा कि समारोह केवल सैन्य विषयों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हमारे देश के सांस्कृतिक पहलुओं को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि समय तथा विकसित टेक्नोलॉजी के साथ युद्ध की प्रकृति बदल रही है। हमें आधुनिक टेक्नोलॉजी से उत्पन्न नई सुरक्षा चुनौतियों के बारे में सतर्क रहने की जरूरत है। श्री राजनाथ सिंह ने आयोजकों से भविष्य में थीम आधारित आयोजन करने को कहा और सैन्य साहित्य समारोह की सफलता की कामना की। समारोह को पंजाब के राज्यपाल श्री विजेंद्र पाल सिंह बदनौर तथा पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने भी संबोधित किया।