वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, सरकार इससे निपटने के लिए प्रतिबद्ध है : पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि केन्द्र सरकार दिल्ली और उत्तर भारत में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी संभावित तकनीकों का इस्तेमाल करने की दिशा में भी काम कर रही है।

टीईआरआई और एयर क्वालिटी एशिया (एक अंतरराष्ट्रीय समूह जो एयर क्वालिटी के क्षेत्र में कार्यरत है) के संयुक्त तत्वावधान में ‘हवा को स्वच्छ बनाने में केन्द्र और राज्य स्तर पर किए जाने वाले प्रयास’ विषय पर आयोजित चौथे गोलमेज़ सम्मेलन के अवसर पर बोलते हुए पर्यावरण मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आगामी 5 वर्षों में 100 शहरों  की वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने का संकल्प लिया है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम) नामक शहर आधारित कार्ययोजना के ज़रिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इस लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में कार्य कर रहा है। मंत्रालय वर्ष 2024 तक पीएम10 और पीएम2.5 में करीब 20 से 30 फीसदी की कमी के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहता है।

पूरे उत्तर भारत सहित विशेषरूप से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के असाधारण हालात पर बोलते हुए मंत्री ने कहा कि वायु प्रदूषण संकट के लिए प्राथमिक तौर पर औद्योगिक उत्सर्जन, वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण स्थलों पर होने वाली धूल, सालभर में करीब 50-60 दिनों तक पराली का जलना, जैव अपशिष्ट और कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था ना होने जैसे कारक ज़िम्मेदार हैं।

मौसम विज्ञान और भूगोल की स्थिति पर बोलते हुए श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे महानगरों में जनसंख्या का बोझ और औद्योगिक तथा वाहनों के प्रदूषण का स्तर लगभग बराबर होने के बावजूद, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक पिछले कुछ दिनों में 300 के स्तर को पार कर गया है, जबकि चेन्नई में यह केवल 29, मुंबई में 140 और बेंगलुरु में यह आंकड़ा केवल 45 है। मंत्री ने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि इन राज्यों में मौसम काफी अनुकूल है, जिसकी हमें सराहना करनी चाहिए। यही वजह है कि जब हवा की गति और मौसम अनुकूल ना हो, उस स्थिति में वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए हमें और अधिक प्रयास करने चाहिए।

पर्यावरण मंत्री ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान केन्द्र सरकार की ओर से वायु प्रदूषण के खतरे को कम करने की दिशा में उठाए गए वैज्ञानिक तथा तकनीकी उपायों सहित विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला।