मोदी सरकार महंगाई पर क़ाबू पाने के लिए लगातर क़दम उठा रही है, इसी कड़ी में सरकार ने इस साल चीनी के निर्यात की मात्रा तय करने का फ़ैसला किया है. अब 2021 – 22 चीनी सीजन में निर्यातक 100 लाख मीट्रिक टन से ज़्यादा चीनी निर्यात नहीं कर पाएंगे. सूत्रों के मुताबिक़ देश में चीनी के स्टॉक को लेकर फ़िलहाल कोई चिंता नहीं है लेकिन एहतियात के तौर पर ये क़दम उठाया गया है क्योंकि इस साल चीनी का निर्यात पिछले छह सालों में सबसे ज़्यादा हुआ है. ऐसे में घरेलू बाज़ार में चीनी की पर्याय उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने ये फ़ैसला लिया है. पिछले 6 सालों में ये पहला मौक़ा है जब चीनी के निर्यात पर इस तरह की पाबंदी लगाई गई है. खाद्य मंत्रालय की ओर से निर्यातकों और चीनी मिलों के लिए जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि 1 जून से चीनी निर्यात के लिए निर्यातकों को विशेष अनुमति लेनी पड़ेगी. सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक़ फ़िलहाल देश में चीनी की औसत ख़ुदरा क़ीमत 41 रुपए प्रति किलो है. इससे पहले खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों से लोगों को राहत देने के लिए केन्द्र सरकार ने सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर दो साल के लिए कस्टम डयूटी समाप्त कर दी है। साथ ही सरकार ने कृषि और बुनियादी शुल्क और विकास सेस भी खत्म कर दिया है।
2022-05-25