सोमवार को तुर्की और सीरिया में विनाशकारी भूकंप आया. जिसमें अभी तक 5 हजार से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. भूकंप के तेज झटकों ने हजारों इमारतों को तबाह कर दिया. तबाही का मंजर इतना भयावह था कि बचावकर्ताओं ने जीवित बचे लोगों के रेस्क्यू के लिए नंगे हाथों से ही खुदाई करनी पड़ी. दर्जनों देशों ने 7.8-तीव्रता के भूकंप के बाद तुर्की की सहायता का वादा किया. ये भूकंप तब आया जब लोग अभी भी सो रहे थे और ठंड के मौसम ने राहत कार्यों और इमरजेंसी सेवाओं को और मुश्किल बना दिया. आपदा के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने देश में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. तुर्की में लोगों के से भरे कई बहुमंजिला अपार्टमेंट मलबे के ढेर में तब्दील हो गए. साथ ही सीरिया में भी कई इमारतें ढह गई. अलेप्पो में पुरातात्विक स्थलों को भी नुकसान पहुंचा. दक्षिण-पूर्वी तुर्की शहर कहामनमारस में एक 23 वर्षीय रिपोर्टर मेलिसा सलमान ने कहा, “यह पहली बार था जब हमने ऐसा अनुभव किया,” सीरिया के राष्ट्रीय भूकंप केंद्र के प्रमुख रायद अहमद ने इसे “देश के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ा भूकंप” करार दिया.
भारत के अलावा अमेरिका, इजरायल, स्पेन और पाकिस्तान ने भी मदद का हाथ आगे बढ़ाया है. पीएमओ में बैठक के बाद पीएम मोदी के निर्देश पर एनडीआरएफ की 2 टीमें राहत और बचाव कार्य के लिए तुर्किए रवाना हो चुकी है. तुर्की में मंगलवार को फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप के झटकों की तीव्रता 5.9 थी. तुर्की में इससे पहले सोमवार को भूकंप के तीन तेज झटके लगे थे. इनमें से पहला भूकंप सुबह 4 बजे 7.8 तीव्रता का आया. इसने सबसे ज्यादा तबाही मचाई. इसके बाद 7.5 और 6 तीव्रता के भूकंप आए.