प्रदेश में जल संरक्षण को मात्र सरकारी योजना न समझा जाय, बल्कि इस पर दीर्घकालीन विजन के तहत मिशन मोड पर गम्भीरता से कार्य किया जाय – मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शासन के उच्चाधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि उत्तराखण्ड में जल संरक्षण को मात्र सरकारी योजना न समझा जाय, बल्कि इस पर दीर्घकालीन विजन के तहत मिशन मोड पर गम्भीरता से कार्य किया जाय। राज्य में जल स्रोतों के सूखने पर चिंता व्यक्त करते हुए सीएम श्री धामी ने अपर मुख्य सचिव के स्तर से राज्य में जल संरक्षण योजनाओं की प्रगति के साप्ताहिक समीक्षा के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आगामी मानसून के तीन महीने वर्षा जल संरक्षण के दृष्टिगत हमारे लिए अत्यन्त निर्णायक हैं, सम्बन्धित विभाग इस पर प्रोएक्टिव अप्रोच के साथ काम करें। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सचिवालय में मानसून सीजन से पूर्व तथा मध्य में वृहद जल संरक्षण अभियान चलाकर जल संरक्षण हेतु आवश्यक प्रबन्ध/निर्माण कराये जाने हेतु विभिन्न विभागों की कार्ययोजना की समीक्षा के दौरान जल संरक्षण हेतु राज्य में जल संरक्षण बोर्ड या ऑथारिटी के जल्द गठन का भी निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे भौगोलिक रूप से छोटे राज्य में हर क्षेत्र में मॉडल राज्य बनने की शत प्रतिशत संभावनाएं हैं। सीएम ने वन विभाग को राज्य में चीड़ के वृक्षों को बांज और देवदार के वृक्षों से प्रतिस्थापित (रिप्लेस) करने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में जल संरक्षण हेतु वन विभाग, जलागम विभाग, सिंचाई विभाग, कृषि विभाग तथा ग्राम्य विकास विभाग एक वृहद कार्ययोजना पर मिलजुल का कार्य करें। उन्होंने कहा कि सभी सम्बन्धित विभाग स्पष्ट करें कि अभी तक उनके द्वारा किये गये जल संरक्षण के प्रयासों का परिणाम क्या रहा । मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है कि उत्तराखण्ड को प्रत्येक क्षेत्र में मॉडल राज्य बनाने के लिए सभी विभाग अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन पर ध्यान दें तथा औपचारिक बैठकों के स्थान पर धरातल पर परिणाम देने का प्रयास करें।

बैठक में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, श्री आनंदवर्धन, सचिव श्री आर के सुधांशु, श्री शैलेष बगोली, वन विभाग, कृषि विभाग, जलागम विभाग तथा सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारी उपस्थित थे।