📰 हेलीकॉप्टर से जान बचाना, डिजिटल इलाज तक: एम्स ऋषिकेश के दीक्षांत समारोह में झलकी देश की सेहत की नई तस्वीर!

ऋषिकेश। उत्तराखंड की देवभूमि में मंगलवार का दिन एक खास अवसर लेकर आया, जब केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने एम्स ऋषिकेश के पांचवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की।

समारोह में उन्होंने न केवल भावी डॉक्टरों की मेहनत और समर्पण को सराहा, बल्कि भारत की बदलती स्वास्थ्य व्यवस्था की दिशा भी उजागर की।

अपने संबोधन में श्री नड्डा ने कहा, “दीक्षांत केवल डिग्रियां बांटने का दिन नहीं, यह उस लगन की मान्यता है जो छात्रों ने वर्षों तक दिखाई है।” उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि केंद्र सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य है

– देश के हर गरीब तक सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना।

उन्होंने बताया कि 21वीं सदी की शुरुआत में जहां देश में सिर्फ एक एम्स था,

आज भारत 22 एम्स संस्थानों के साथ स्वास्थ्य सेवा में एक नई क्रांति देख रहा है।

एम्स ऋषिकेश की बात करें तो इस संस्थान ने खुद को एक अद्वितीय पहचान दिलाई है — उत्कृष्ट सेवाओं और तकनीकी नवाचारों की बदौलत।

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “सरकार केवल बीमारियों का इलाज नहीं, बल्कि रोकथाम, देखभाल और पुनर्वास पर भी ध्यान दे रही है।”

उन्होंने आंकड़े देते हुए बताया कि पूरे देश में इस समय 1.75 लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिर सक्रिय हैं। पिछले एक दशक में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में 101 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और अब देश में 780 मेडिकल कॉलेज हैं।

एमबीबीएस सीटों में 130% और पीजी सीटों में 138% का इज़ाफा हुआ है।

स्वास्थ्य सुविधाओं को और सुदृढ़ करने के लिए 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जा रहे हैं, जिन्हें मेडिकल कॉलेजों के साथ ही जोड़ा जाएगा।

एम्स ऋषिकेश की खासियत बताते हुए उन्होंने कहा कि यहाँ हेलीकॉप्टर और ड्रोन सेवाओं की मदद से अब तक 309 गंभीर मरीजों की जान बचाई जा चुकी है।

साथ ही, ई-संजीवनी जैसी टेलीमेडिसिन सेवाओं के ज़रिए दूरदराज़ इलाकों में भी इलाज संभव हो रहा है।

श्री नड्डा ने छात्रों को करुणा, ईमानदारी और समर्पण से काम करने की सीख देते हुए बताया कि सरकार हर एमबीबीएस छात्र पर 30 से 35 लाख रुपये खर्च करती है।

उन्होंने कहा कि नए डॉक्टरों को अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत से ही अधिक ज़िम्मेदारियां उठानी चाहिए।

इस मौके पर कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सुविधाओं का उद्घाटन भी हुआ,

जैसे – आयुष विभाग में एकीकृत चिकित्सा सेवा, न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग में पीईटी स्कैन मशीन, रेडियोलॉजी विभाग में पीएसीएस सुविधा और बाल चिकित्सा विभाग में उन्नत केंद्र की शुरुआत।

दीक्षांत समारोह में कुल 434 छात्रों को डिग्रियां दी गईं, जिनमें 98 एमबीबीएस, 95 बीएससी (ऑनर्स) नर्सिंग, 54 बीएससी संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान, 109 एमडी/एमएस/एमडीएस, 17 एमएससी नर्सिंग, 1 एमएससी मेडिकल संबद्ध, 12 मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ, 40 डीएम/एमसीएच और 8 पीएचडी छात्र शामिल रहे। साथ ही, 10 मेधावी छात्रों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किए गए।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि बीते 10 वर्षों में देश की स्वास्थ्य सेवाओं ने तेज़ी से प्रगति की है। चाहे एम्स की स्थापना हो, राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति-2017 हो, आयुष्मान भारत योजना हो या मेडिकल कॉलेजों में सीटों की बढ़ोतरी — हर दिशा में उल्लेखनीय काम हुआ है।

मुख्यमंत्री ने राज्य में हेलीकॉप्टर एंबुलेंस सेवा की सराहना करते हुए कहा कि इससे उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं को नई उड़ान मिली है। उन्होंने यह भी बताया कि उधम सिंह नगर में एम्स ऋषिकेश का सेटेलाइट सेंटर बन रहा है।

राज्य में अब तक 5,000 से अधिक ग्राम सभाएं टीबी मुक्त हो चुकी हैं। 207 पैथोलॉजिकल जांचें सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क की जा रही हैं

और अब तक 29 लाख से अधिक लोगों की जांच हो चुकी है। 14 लाख से ज्यादा मरीजों का इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत हो चुका है। चारधाम यात्रा को देखते हुए भी नए अस्पतालों की शुरुआत की जा रही है।

इस अवसर पर केंद्रीय राज्य मंत्री श्री अजय टम्टा, सांसद श्री अजय भट्ट, विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूरी भूषण, पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, एम्स ऋषिकेश के अध्यक्ष प्रो. सिमरन नंदी, निदेशक प्रो. मीनू सिंह और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।