केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने वैश्विक समुदाय से आह्वान किया कि वे पर्याप्त मात्रा और सस्ती कीमतों पर कोविड-19 के लिए टीकों और औषधियों की समय पर और समान उपलब्धता सुनिश्चित करें। डब्ल्यूटीओ मंत्रियों की आज आयोजित आभासी अनौपचारिक बैठक के दौरान हस्तक्षेप करते हुए उन्होंने कहा कि इन चिकित्सकीय आपूर्तियों को प्राप्त करने में सीमित विनिर्माण क्षमता वाले जो देश चुनौतियों का सामना करेंगे, उनके समाधान के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका ने (टीआरआईपीएस) छूट का प्रस्ताव किया है। उन्होंने सभी सदस्यों से प्रस्ताव के समर्थन का आह्वान किया, ताकि पहले नहीं तो एमसी12 तक इस संबंध में कोई निर्णय लिया जा सके।
श्री गोयल ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने वैश्विक आर्थिक और व्यापारिक व्यवस्था में अंतर्निहित कमजोरियों और असमानताओं को उजागर कर दिया है। समय की मांग है कि तात्कालिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं, और एक रुग्ण और असंतुलित वैश्विक व्यापार प्रणाली में सुधार कैसे किया जाय, इस पर एक दीर्घ-कालिक रोडमैप तैयार किया जाए।
श्री गोयल ने कहा कि भारत मानता है कि प्रत्येक संकट प्रगति के एक नवीन और उन्नत मार्ग के लिए बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा कि अर्थपूर्ण और न्यायसंगत सुधार हमसे मांग करता है कि बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को पुन: परिकल्पित किया जाए और पिछले 25 वर्ष में जो काम की नहीं रहीं है उन्हें हटा दिया जाए। श्री गोयल ने उल्लेख किया, “ हम मानव जीवन की रक्षा तथा समावेशी और टिकाऊ वैश्विक आर्थिक विकास की बहाली की दिशा में अन्य डब्ल्यूटीओ सदस्यों के साथ रचनात्मक रूप से जुड़ने के लिए सर्वदा तैयार हैं”.
माहमारी के कारण खाद्य और आजीविका सुरक्षा की बढ़ती चुनौतियों पर मंत्री ने सुझाव दिया कि एमसी12 के दौरान खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों (पीएसएच) के लिए सार्वजनिक भंडारण (पब्लिक स्टॉकहोल्डिंग) के स्थायी समाधान के अनिवार्य मुद्दे पर प्रभावी परिणाम लिए खाद्य सुरक्षा चुनौती पर तत्काल प्रतिक्रिया देनी होगी।
श्री गोयल ने कहा कि महामारी ने स्वास्थ्य सेवा पेशे से जुड़े लोगों के आसान सीमा-पार संचलनकी आवश्यकता को भी दर्शाया है। एक बहुपक्षीय पहल जो मोड-4 के अंतर्गत चिकित्सकीय सेवाओं को आसान पहुंच प्रदान करती है उसे तुरंत शुरू करने की जरूरत है और हमें एमसी12 तक इसे प्रदान कर देने का लक्ष्य रखना चाहिए।
मछलीपालन सब्सिडी पर चल रही वार्ताओं के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि वार्ताएं कुछ देशों द्वारा किए जा रहे औद्योगिक मछलीपालन की समस्या के समाधान पर होनी चाहिए, जिसके कारण वैश्विक मछली भंडार में बड़ी कमी आई है। श्री गोयल ने कहा कि जो सदस्य बड़ी सब्सिडी प्रदान कर चुके हैं और उसे जारी रखे हैं, उन्हें “प्रदूषक भुगतान करता है” के सिद्धांत की तर्ज पर सर्वोच्च योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “ हमे उरुग्वे दौर की बातचीत के दौरान हुईं गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए, जिसने चुनिंदा सदस्यों के लिए असमान और व्यापार को विकृत करने के अधिकार की अनुमति दी, जबकि कम विकसित देशों, जिनके पास उस समय अपने किसानों को समर्थन देने की क्षमता नहीं थी, को गलत तरीके से विवश किया गया।
श्री गोयल ने कहा कि विकासशील देशों के लिए उपयुक्त और प्रभावी विशेष एवं विभेदक व्यवहार( स्पेशल एंड डिफरेंशियल ट्रीटमेंट) के संबंध में मछलीपालन पर लिए गए एसडीजी 14.6 और एमसी11 दोनों निर्णयों के आदेश स्पष्ट हैं और इनकी अवहेलना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारत लीचीलेपन और नीति विस्तार को प्रतिबंधित करने के किसी भी प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा जिनकी आवश्यकता विकासशील देशों को वैश्विक व्यापार प्रणाली के साथ बेहतर एकीककरण में पड़ती है. मंत्री ने आगे कहा, “ वास्तव में, समृद्धि के विपरीत स्तरों, आर्थिक विकास के असमान स्तर और राष्ट्रों के बीच मानव विकास सूचकांकों में बड़ी असमामनता को ध्यान में रखते हुए हमें अल्प विकसित और विकासशील देशों के लिए अधिक अवसर खोलने चाहिए, ताकि वैश्विक व्यापार निष्पक्ष और टिकाऊ हो”।