उत्तराखण्ड राज्य एक बार फिर से एक बड़ी आपदा से गुजर रहा है। रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से कम से कम 150 से अधिक लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घटनास्थल का जायजा लिया। लोगों की मदद के लिए मौके पर रेसक्यू टीमे भी पहुंच चुकी हैं, जिला प्रशासन के साथ ही आईटीबीपी, सेना व एनडीआरएफ के जवान मोर्चा संभाले हुए हैं। अभी तक मरने वालों की संख्या की कोई पुष्ट खबर नहीे मिल सकी है। सीएम, पीएम व गृह मंत्री समेत अन्य आला अधिकारी लगातार घटना पर नजर बनाए हुए हैं।
चमोली जिले के रैणी गांव के समीप ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। यह प्रोजेक्ट पिछले साल ही शुरू किया गया और इस का काम प्रगति पर है। अलकनन्दा नदी पर बनने वाला यह प्रोजैक्ट रैणी गांव के समीप है। रविवार की सुबह दस बजे यहां अचानक एक ग्लेशियर के टूटने के कारण नदी का जलस्तर बड़ गया और नदी में उफान आ गया। यह उफान इस परियोजना के लिए बनाए गये बांध का एक हिस्सा तोडक़र अपने साथ बहा ले गया। इस कारण पूरी परियोजना तबाह हो गयी। वहां काम कर रहे 150 से अधिक मजदूर लापता हैं। यही नहीं इसके साथ ही इस जलजले ने पूरी घाटी में तबाही मचाई है। कई अन्य गांवों को भी प्रभवित किया है। इस घटना के बाद पूरी घाटी में अफरा तफरी मची हुयी है। नदी किनारे बसे लोग अपने अपने घरों को छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर चले गये है। शाम होते होते पानी का बहाव सामान्य हो गया था लेकिन फिर भी लोग अभी सुरक्षित स्थानों पर ही हैं।
मिल रही जानकारी के अनुसार, तपोवन-रैणी स्थित ऊर्जा संयंत्र पूरी तरह से बह गया है। हालांकि राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा, अब स्थिति नियंत्रण में है। श्रीनगर में एक बांध है जिसने पानी के तेज प्रवाह को नियंत्रित कर लिया है। कुमार ने बताया कि बचाव दल जोशीमठ से करीब 20 मिनट की दूरी पर स्थित घटनास्थल पर तत्काल पहुंच गई है लेकिन पूरी तस्वीर शाम तक ही साफ हो पाएगी।
इससे पहले राज्य के डिज़ास्टर रिलीफ फोर्स की डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने कहा,ऊर्जा परियोजना के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया है कि परियोजना स्थल पर मौजूद रहे 150 कामगारों से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है। वहीं भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के प्रवक्ता का कहना है कि तपोवन ऊर्जा परियोजना स्थल प्रभारी के मुताबिक 150 से अधिक श्रमिकों की मौत की आशंका है। इस आपदा में पहाड़ों से तेज गति से आ रही नदी के बहाव की राह में आने वाले घर बह गए हैं। बहाव से नीचे की ओर मौजूद इंसानी बस्तियों को नुकसान पहुंचने की आशंका है। कई गांवों को खाली करवा लिया गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद से ही पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून के इलाकों के प्रभावित होने की आशंका है। यही कारण है कि हादसा प्रभावित चमोली और इसके आस-पास के इलाकों के साथ-साथ इन जगहों पर भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में टूटे ग्लेशियर से आई बाढ़ के कारण धौलगंगा घाटी और अलकनन्दा घाटी में नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे ऋषिगंगा और धौली गंगा के संगम पर बसे रैणी गांव के समीप स्थित एक निजी कम्पनी की ऋषिगंगा बिजली परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा, धौली गंगा के किनारे बाढ़ के वेग के कारण जबस्त भूकटाव भी हो रहा है।
चमोली के जिला प्रशासन की ओर से अलकनन्दा नदी के किनारे रह रहे लोगों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुबह अचानक जोर की आवाज के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा। पानी तूफान के आकार में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया।
आपदा के मद्देनजर राज्य की पुलिस ने लोगों से परेशान न होने की अपील की है। पुलिस ने ट्विटर पर लोगों से अपील करते हुए कहा, अपील है कि बेचैन ना हों। हमारी टीम मदद में लगी हुई हैं। राहत और बचाव का काम तेज़ी से किया जा रहा है। अपना और अपनों का ध्यान रखें, खुद को तुरंत सुरक्षित स्थान पर ले जाएं। हमारी राहत बचाव टीम की मदद करें।
इसके साथ ही पुलिस ने हादसे में फंसे लोगों की मदद के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। पुलिस ओर से एक ट्वीट में कह गया, अगर आप प्रभावित क्षेत्र में फंसे हैं, आपको किसी तरह की मदद की जरूरत है तो कृपया आपदा परिचालन केंद्र के नम्बर 1070 या 9557444486 या डायल 112 पर संपर्क करें। कृपया घटना के बारे में पुराने वीडियो से अफवाह न फैलाएं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बाढ़ से उत्पन्न स्थिति की समीक्षा की और राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। मोदी ने ट्वीट कर कहा, उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और देश सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों से लगातार बात कर रहा हूं और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव और राहत कार्यों से संबंधित जानकारियां लगातार ले रहा हूं।
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस मसले पर बात की। शाह ने कहा, पीडि़त लोगों को राहत पहुंचाने और उनके बचाव के लिए एनडीआरएफ बलों को तैनात किया गया है, अतिरिक्त बचावकर्ताओं को विमान के जरिए दिल्ली से उत्तराखंड ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड में हालात पर लगातार नजर रख रही है। शाह ने ट्वीट किया, उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईटीबीपी के महानिदेशक और एनडीआरएफ के महानिदेशक से बात की है।
2021-02-08