प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि योग-व्यायाम से हमें अच्छा स्वास्थ्य मिलता है और सामर्थ्य प्राप्त होता है। योग हमें अवसाद से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है। वे सोमवार की सुबह 7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, “हमारे लिए स्वास्थ्य ही सबसे बड़़ा भाग्य है और अच्छा स्वास्थ्य सभी सफलताओं का माध्यम। भारत के ऋषियों ने जब भी स्वास्थ्य की बात की है तो उसका मतलब केवल शारीरिक स्वास्थ्य नहीं रहा है बल्कि आंतरिक सामर्थ्य भी है। इसलिए योग में फिजिकल हेल्थ (शारीरिक स्वास्थय) के साथ-साथ मेंटल हेल्थ (मानसिक स्वास्थय) पर भी जोर दिया गया है।’ प्रधानमंत्री वर्चुअल माध्यम से अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
7वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का विषय ‘योगा फॉर वेलनेस’ का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए योग का अभ्यास जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब हम प्राणायाम, ध्यान या फिर दूसरी यौगिक क्रियाएं करते हैं तो हम अपनी अंतर-चेतना को अनुभव करते हैं। योग से हमें यह अनुभव होता है कि हमारी विचार-शक्ति, हमारा आंतरिक सामर्थ्य इतना ज्यादा है कि दुनिया की कोई परेशानी या नकारात्मक बातें हमें नहीं तोड़ सकती। योग हमें ‘स्ट्रेस से स्ट्रेंथ’ की तरफ लेकर जाता है। ‘नेगेटिविटी से क्रिएटिविटी’ का रास्ता दिखाता है। अवसाद से उमंग और प्रमाद से प्रसाद तक ले जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज जब पूरा विश्व कोरोना महामारी का मुकाबला कर रहा है तो योग उम्मीद की एक किरण भी बना हुआ है। पिछले दो वर्ष से दुनिया भर के देशों और भारत में भले ही कोई बड़ा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुआ हो, लेकिन योग दिवस के प्रति उत्साह जरा भी कम नहीं हुआ है। करोड़ों लोगों में योग के प्रति उत्साह बढ़ा है। विश्व का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “मैं आज योग दिवस पर यह कामना करता हूं की हर देश, हर समाज और हर व्यक्ति स्वस्थ हो, सब एक साथ मिलकर एक दूसरे की ताकत बनें।”
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे ऋषियों-मुनियों ने योग के लिए “समत्वम् योग उच्यते” की परिभाषा दी है। उन्होंने सुख-दुःख में समान रहने और संयम को एक तरह से योग का पैरामीटर बनाया था। आज इस वैश्विक त्रासदी में योग ने इसे साबित कर दिखाया है।’’