सनातन की ओर वापसी: दून यूनिवर्सिटी में खुलेगा हिंदू स्टडीज़ सेंटर, एकता और संस्कृति की जमीनी कहानी
हरिद्वार की पवित्र मिट्टी पर बैसाखी का पर्व सिर्फ उमंग का नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक चेतना का नया संदेश लेकर आया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जब ‘सद्भावना सम्मेलन और राष्ट्रीय एकता शिविर’ में मंच संभाला, तो उनका हर शब्द उत्तराखंड की धरती पर एक नए युग की घोषणा जैसा लगा।
उन्होंने ऐलान किया कि अब दून यूनिवर्सिटी में एक विशेष ‘सेंटर फॉर हिंदू स्टडीज़’ की स्थापना की जाएगी। यह संस्थान भारतीय सभ्यता, संस्कृति और दर्शन को न सिर्फ संरक्षित करेगा, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का भी माध्यम बनेगा।
मुख्यमंत्री ने समाज को जोड़ने की बात करते हुए हाल ही में लागू की गई समान नागरिक संहिता (UCC) का उल्लेख किया। उनका कहना था, “जाति, धर्म, लिंग—किसी भी आधार पर भेदभाव की अब कोई जगह नहीं। हमारी कोशिश है कि हर नागरिक को समान अधिकार और सम्मान मिले।”
केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के पुनर्निर्माण से लेकर हरिद्वार-ऋषिकेश कॉरिडोर तक, सरकार राज्य की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक स्तर पर चमकाने में जुटी है।
सीएम धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैश्विक दृष्टिकोण की भी सराहना की, जिन्होंने महामारी से लेकर प्राकृतिक आपदाओं तक, हर मौके पर ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की भावना को जीवंत किया।
म्यांमार में हालिया भूकंप के समय भारत की ओर से राहत कार्य और चिकित्सकीय सहायता इसका जीता-जागता उदाहरण था।
कार्यक्रम में मौजूद मंत्री सतपाल महाराज और अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी इस पहल को ऐतिहासिक बताया। माहौल ऐसा था कि हर श्रोता खुद को भारत की उस सांस्कृतिक यात्रा का हिस्सा महसूस कर रहा था, जो जड़ों से जुड़कर भविष्य की ओर देखती है।