🇮🇳 “अब न खून बहेगा, न पानी”: भारत ने सिंधु जल संधि पर लगाई रोक, पाकिस्तान को मिला करारा जवाब 💧

पहलगाम हमले के बाद देशभर में उबाल है और केंद्र सरकार ने आतंकवाद पर अपनी

‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति को हकीकत में बदलने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई उच्चस्तरीय CCS (कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्योरिटी)

बैठक में भारत ने सिंधु जल संधि को रोकने का ऐतिहासिक फैसला लिया है—जो अब पाकिस्तान

को सीधे-सीधे एक सख्त और स्पष्ट संदेश देता है: अब भारत सिर्फ बयान नहीं देगा, बल्कि हर हमले का जवाब भी देगा, वो भी पूरी ताकत से।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए दो टूक कहा,

“अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” उनका कहना है कि ये फैसला न सिर्फ

हमारे जवानों की शहादत का बदला है, बल्कि उन दुश्मनों के लिए भी चेतावनी है जो भारत की शांति से खिलवाड़ करने की कोशिश करते हैं।

यह पहली बार है जब भारत ने 1960 में हुई इस ऐतिहासिक जल संधि पर ऐसा कड़ा रुख अपनाया है।

अब पाकिस्तान की कृषि और आम जनजीवन पर इसका असर साफ दिखाई देगा, क्योंकि उसकी

जल निर्भरता काफी हद तक इसी समझौते पर टिकी रही है।

इतना ही नहीं, सरकार ने अटारी-वाघा बॉर्डर पर चेक पोस्ट को बंद कर दिया है और पाकिस्तान

के राजनयिकों की संख्या में कटौती के साथ-साथ वीजा सेवाएं भी स्थगित कर दी हैं।

भारत अब नर्म रुख छोड़ चुका है—हर मोर्चे पर तैयार है, और हर वार का जवाब देने को तत्पर।

पाकिस्तान ने भारत के इन फैसलों को ‘युद्ध जैसी कार्रवाई’ करार दिया है, लेकिन भारत

के लिए ये सिर्फ आत्मरक्षा नहीं, बल्कि आने वाले खतरे को रोकने की रणनीति है।

अब सवाल ये नहीं है कि भारत क्या करेगा—सवाल ये है कि पाकिस्तान अब और कितनी देर इस चुप्पी को तोड़ने से डरता रहेगा।